सहनशीलता , मर्यादा,
लोकलाज ,भावुकता,
स्नेह, करुणा
और न जाने क्या- क्या
सदियों से ढूँढा गया क्यों उनमें ही
इनका होना ही परिभाषा बना स्त्री का
सच है गर ये परिभाषा
तो हर पुरूष को चाहिए
बन जाए वो भी स्त्री
~ अतुल मौर्य
रविवार, 8 नवम्बर ,2020