Wednesday, March 17, 2021

कविता- आँसू ऐसे होते हैं

 

कभी कभी ऐसा होता है क्या
कहीं पर बैठे- बैठे
कहीं पर खोए - खोए
गुपचुप से अचानक आता है आँसू ?

नही-नही.. सच तो ये है
कि ये अचानक नहीं होता
उठती रहती हैं लहरें
अचेतन मन-समंदर में
होती रहती है हलचल
जैसे धरती के अंदर
और फिर लहरें हो जातीं हैं ज्वार
और वो हलचल ज्वालामुखी
मन को जैसे ही पातीं हैं कमज़ोर
फूट पड़ती हैं वहीं से

किसी आँख में उमड़ते ज्वार
या बहते लावे को देखना
तो उसे बहने देना तुम
क्योंकि समंदर का ज्वार
और ज्वालामुखी का लावा
ख़ुद से ही होता है शांत
बहते - बहते
बहते - बहते ..।।

~अतुल मौर्य
तारीख : 14 /03/2021

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