बह्र -
1222 - 1222 - 1222 -1222
मेरे खामोश लहजे से कहीं ऐसा न हो जाए
मुझे डर है कि मेरा हमनवा गुस्सा न हो जाए /१/
जो तुमसे बात ना हो तो बेचारा दिल ये सोचे की
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए /२/
इधर की बात करता है उधर तो जान ले फिर तू
तेरे किरदार का आँचल कहीं मैला न हो जाए /३/
सुना है मिल रही हैं सबसे अब वो झील सी आंखें
तो फिर उस झील का पानी कहीं खारा न हो जाए /४/
न छेड़ो इस तरह मुझको कहे कुदरत यही हमसे
जहाँ रहता समंदर है वहाँ सहरा न हो जाए / ५/
'अतुल' रोओ न तुम ऐसे जुदा यारों की यादों में
तबीअत में कहीं रोने से कुछ घाटा न हो जाए/६/
~ अतुल मौर्य
Nice 🤩🤩🤩🤩6
ReplyDeleteKya likha hai👍👍
बहुत शुक्रिया आपका
DeleteWah wah wah kya khoob mere bhaiya ne likha hai
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया प्रिय अनुज
Deleteवाह❤❤✌✌
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया , आलोक जी 🙏🌼
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