Thursday, October 8, 2020

ग़ज़ल-7 जलें सब वो जब मुस्कुरा कर चले

 


जलें सब, वो जब मुस्कुरा कर चले

कहें, क्यूँ वो नज़रें उठा कर चले  /१/


जो कहते थे बेटी रहे घर में ही

उन्हें बेटी ठेंगा दिखा कर चले /२/


झुका सर तो सर फिर कहाँ सर रहा

चले हम  जहाँ सर उठा कर  चले /३/


सफर में रहे उम्र भर इस कदर

की हम रहगुज़र को चला कर चले/४/


गज़ब थे वे भी सरफिरे लोग जो

वतन के लिए जां फिदा कर चले /५/


ज़माना हमें बस  दग़ा ही दिया

'अतुल' तो है नादाँ वफ़ा कर चले /६/


                         © अतुल मौर्य

              तारीख : 27/09/2020


                          




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