बहर-ए- ख़फ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफाइलुन फ़ेलुन
2122 / 1212 / 22
तुम मिले तो थी रोशनी कोई
तुम नहीं तो है तीरगी कोई /1/
दोस्त तुमसे थी दोस्ती ऐसी
जैसे आशिक की आशिकी कोई /2/
तुम मिले ना अगर हमें होते
हम न कर पाते शायरी कोई /3/
दिल मेरा दिल है या है शीशा-घर
रोज़ ही चीज़ टूटती कोई /4/
जिस तरह हँस रहा मैं पी कर ग़म
ऐसे जीता है ज़िन्दगी कोई /5/
हाँ समझ लो है इश्क तुमको भी
ग़र लगे ख़ुद से क़ीमती कोई /6/
भर गया दिल है दोस्तों से अब
कर लो मुझसे भी दुश्मनी कोई /7/
थोड़ा फैशन में तू 'अतुल' रह ले
अब नहीं चाहे सादगी कोई /8/
~अतुल मौर्य
तारीख : 09/02/2021
बेहतरीन sir
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