ग़ज़ल -1
बह्र-
122 - 122 - 122 - 122
जी भर के तुझे देखना चाहता हूँ
तेरी आँख में डूबना चाहता हूँ /1/
ग़ज़ल बन के आओ वरक पे ज़रा तुम
नज़र से तुम्हे चूमना चाहता हूँ /2/
न हो गमजदा हमनशीं मेरे हमदम
तुम्हे खुशनुमा देखना चाहता हूं /3/
न मतलब मुझे काम से है तुम्हारे
है क्या नाम ये जानना चाहता हूँ /4/
तुम्हें जिंदगानी में कर के मैं शामिल
तुम्हें जिंदगी सौंपना चाहता हूं /5/
~ अतुल मौर्य
बह्र-
122 - 122 - 122 - 122
जी भर के तुझे देखना चाहता हूँ
तेरी आँख में डूबना चाहता हूँ /1/
ग़ज़ल बन के आओ वरक पे ज़रा तुम
नज़र से तुम्हे चूमना चाहता हूँ /2/
न हो गमजदा हमनशीं मेरे हमदम
तुम्हे खुशनुमा देखना चाहता हूं /3/
न मतलब मुझे काम से है तुम्हारे
है क्या नाम ये जानना चाहता हूँ /4/
तुम्हें जिंदगानी में कर के मैं शामिल
तुम्हें जिंदगी सौंपना चाहता हूं /5/
~ अतुल मौर्य
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