Tuesday, April 7, 2020

कविता लिखूँ कोई तुम पे

कविता लिखूं कोई तुम पे या फिर कोई गीत लिखूँ
लिखूँ अगर कुछ भी तो बस इतनी सी चीज लिखूँ
प्रीत भरी स्याही में डुबो कर अपनी लेखनी
अंतर्मन के पन्नों पर तुमको अपना मीत लिखूँ

खोए - खोए मन को तुम ऐसे बहला देती हो
मस्तानी पवन जैसे उपवन में फूलों को सहला देती हो
हे मेरे सच्चे साथी सुनो मैं जीत चुका हूँ सबकुछ
और हार के तुम पे नाम तुम्हारे अपनी सारी जीत लिखूँ
अंतर्मन के पन्नों पर ....


जीवन पथ पर मिले हो तो जीवन पथ तक संग रहना
घोर तिमिर छाए जब - जब तारों से चमकते रहना
आनंद- व्यथा कुछ और नहीं ये वाद्ययंत्र हैं जीवन के
इन यंत्रो के लिए मैं तुम सा कोई मधुमय गीत लिखूँ
अंतर्मन के पन्नों पर.....

लिखूँ तो बस लिखता ही रहूँ न थकूं कभी लिखते- लिखते
हे प्यारे बंधु , शखा मेरे तुम्हें मीत, मीत, और मीत लिखूँ

                         
                                                     ~ अतुल मौर्य 

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